जीजा साली से मैं भी बहुत बड़ा मुर्ख था, जो तुम्हरी बहन से शादी की साली : है, और अंधे भी थे क्यूंकि बगल मै खड़ी, मै नहीं दिखी आपको |
"पुस्तकें एक मुर्ख आदमी के लिए वैसे ही हैं, जैसे एक अंधे के लिए आइना।" ~ आचार्य चाणक्य